Komal Kumari 12 Nov 2023 कविताएँ समाजिक 6140 0 Hindi :: हिंदी
मेरे लिखने से क्या तुम पढ़ो तो कोई बात बने.. मेरे सोचने से क्या तुम समझो तो कोई बात बने... मेरे चाहने से क्या तुम एहसास करो तो कोई बात बने.. मैं फूल हूं तो क्या तुम खुशबू बनो तो कोई बात बने.. मैं रागिनी हूं तो क्या तुम साज बनो तो कोई बात बने.. मैं दीया हूं तो क्या तुम बाती बनो तो कोई बात बने.. मैं अर्पण हूं तो क्या तुम दर्पण बनो तो कोई बात बने... मैं तुम्हारे दिल की आवाज़ हूं तुम सुनो तो कोई बात बने.. मैं नादान हूं तो क्या तुम समझदार बनो तो कोई बात बने.. मैं तो तुम्हारे ही अंदर बसी ताकत हूं तुम आजमाओ तो कोई बात बने.. मैं तो तुम्हारे ही दिल में बसी हूं तुम पहचान पाओ तो कोई बात बने.. मैं माया हूं तो क्या तुम साया बनो तो कोई बात बने... मैं काया हूं तो क्या तुम रुह बनो तो कोई बात बने.. मैं राख हूं तो क्या तुम शिव बनो तो कोई बात बने.. मैं बैरंग हूं तो क्या तुम रंग भरो तो कोई बात बने... मैं निराकार हूं तो क्या तुम साकार करो तो कोई बात बने ...!!
#Mujhko pasand hai khud Ko hi padhna ek kitab hai mujhmein Jo mujhe aajmati hai. @ham Apne jivan ka...