संदीप कुमार सिंह 07 Jun 2023 कहानियाँ समाजिक मेरी यह कहानी समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 7177 0 Hindi :: हिंदी
दिल्ली के नोएडा में प्रकाश बाबू ने एक कंपनी खोला। जिसमें नैनी शुरू से कार्यरत थी। कंपनी में पहले मात्र 10स्टाफ ही हुआ करता था। लेकिन धीरे_धीरे कंपनी काफी growth कर आगे निकल आई। आज के तारीख में सैकड़ों के तादाद में स्टाफ हो गया है। शुरू के स्टाफों के कड़ी मेहनत के बदौलत कंपनी काफी आगे बढ़ी। जिसमें नैनी का योगदान काफी था। और अभी बिगत साल जुली ने भर्ती ली थी। लेकिन देखते_देखते जुली की निकटता प्रकाश बाबू से बहुत अधिक हो गई थी। यह देख नैना के साथ_साथ बांकी के स्टाफों को भी खलता था। इस आने वाली दिवाली में नैना को अपने प्रमोशन का आशा थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। और प्रमोशन जुली का हुआ। यह सब देख कर नैना बहुत ही दुखित हुई और उनके साथ के सभी स्टाफ भी। लेकिन यहां मामला अब पहले वाला नहीं था। कारण की प्रकाश बाबू का नजदीकी जुली के साथ काफी हद तक बढ़ चुकी थी। प्रकाश जुली के प्यार में डूब गया था। उसे अपने पहले वाला दिन याद नहीं रहा। उसने नैनी तथा बांकी के स्टाफों के योगदान को भूला दिया था। समझाने पर भी प्रकाश को कुछ समझ नहीं आती थी। प्रकाश के लिए अब सब कुछ जुली ही थी। सारे l ncome को भी अब जुली ही देखती थी। एक दिन मालूम पड़ा की जुली प्रकाश को धोखा दे अपने किसी प्रेमी संग विदेश सिंगापुर सिफ्ट हो गई थी। लेकिन जुली जाने से पहले सारी खजाना समाप्त कर गई थी। जिसमें कंपनी के बचत के साथ_साथ आधारिक पूंजी भी जमा थी। अब तो प्रकाश का बुरा हाल था। प्रकाश के पास अब बिल्कुल ही पूंजी नहीं बची थी। कंपनी अब उसकी बंद हो चुकी थी। (शिक्षा:_कभी भी गरीबी के दिन में साथ रहे साथियों तथा वह हालात नहीं भूलना चाहिए।) (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....