अतुल कुमार 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक रहमान चाचा और चुहा, Social Story in Hindi, Hindi Kahani 322165 2 5 Hindi :: हिंदी
बहुत समय पहले की बात है रहमान चाचा के यहाँ एक चूहा रहता था. हर दिन की तरह उस दिन भी बाज़ार से गाँव लौटते वक़्त चाचा झोले में कुछ सामान लेकर आये. झोले से बिस्कुट का पैकेट निकलते देख कर चूहे के मुंह में पानी आ गया, लेकिन ये क्या अगले ही पल उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई, चाचा आज बाकी सामन के साथ एक चूहेदानी भी खरीद कर लाये थे. चूहा फ़ौरन भाग कर मुंडेर पर बैठे कबूतर के पास गया और घबड़ा कर कहने लगा – ” यार, आज बड़ी गड़बड़ हो गई, चाचा मुझे मारने के लिए चूहे दानी लेकर आये हैं, मेरी मदद करो किसी तरह इस चूहेदानी को यहाँ से गायब कर दो!” कबूतर मुस्कुराया और बोला, ” पागल हो गया है, भला मुझे चूहेदानी से क्या खतरा, मैं इस चक्कर में नहीं पड़ने वाला. ये तेरी समस्या है तू ही निपट.”चूहा और भी निराश हो गया और मुर्गो के पास हांफता हुआ पहुंचा, ” भाई मेरी मदद करो, चाचा चूहेदानी लेकर आये हैं….”मुर्गे दाना चुगने में मस्त थे. चूहे से कन्नी काटते हुए बोले, “अभी हमारा खाने का टाइम है, तू बाद में आना.”अब चूहा भागा-भागा बकरे के पास पहुंचा और अपनी समस्या बताई.बकरा जोर-जोर से हंसने लगा, “यार तू पागल हो गया है, चूहेदानी से तुझे खतरा है मुझे नहीं. और तेरी मदद करके मुझे क्या मिलेगा? मैं कोई शेर तो हूँ नहीं जो शिकारी मुझे जाल में फंसा लेगा और तू मेरा जाल कुतर कर मेरी जान बचा लेगा!”और ऐसा कह कर बकरा जोर-जोर से हंसने लगा.बेचारा चूहा उदास मन से अपने बिल में वापस चला गया.रात हो चुकी थी, चाचा और उनका परिवार खा-पीकर सोने की तैयारी कर रहे थे तभी खटाक की आवाज़ आई. चचा की छोटी बिटिया दौड़कर चूहेदानी की ओर भागी, सभी को लगा कि कोई चूहा पकड़ा गया है. कबूतर, मुर्गे और बकरे को भी लगा कि आदत से मजबूर चूहा खाने की लालच में मारा गया.लड़की पलंग के नीचे हाथ डालकर चूहेदानी खींचेने लगी, तभी हिस्स की आवाज़ आयी…. ये क्या चूहेदानी में चूहा नहीं बल्कि एक ज़हरीला सांप फंस गया था और उसने बिजली की गति से फूंफकार मारते हुए बिटिया को डस लिया.बिटिया की चीख सुन सब वहां इकठ्ठा हो गए. रहमान चाचा सर पर पैर रख कर पड़ोस में रहने वाले ओझा के यहाँ भागे.ओझा ने कुछ तंत्र-मन्त्र किया और बिटिया के हाथ पर एक लेप लगाते हुए बोले, बच्ची अभी खतरे से बाहर नहीं है, मुझे फ़ौरन कबूतर का कंठ लाकर दो मैं उसे उबालकर एक घोल तैयार करूँगा जिसे पीकर यह पूरी तराह स्वस्थ हो जायेगी.ये सुनते ही रहमान चाचा कबूतर को पकड़ लाये. ओझा ने बिना देरी किये कबूतर का काम तमाम कर दिया. बिटिया की हालत सुधरने लगी. अगले दिन कई नाते – रिश्तेदार बिटिया का हाल-चाल जानने के लिए इकट्ठा हो गए. चाचा भी बिटिया की जान बचने से खुश थे और इसी ख़ुशी में उन्होंने सभी को मुर्गा खिलाने की ठानी. कुछ ही घंटों में मूढ़ों का भी काम तमाम हो गया. ये सब देख कर बकरा भी काफी डरा हुआ था पर जब सभी मेहमान चले गए तो वो भी बेफिक्र हो गया.पर उसकी ये बेफिक्री अधिक देर तक नहीं रह पाई.चची ने रहमान चाचा से कहा, “अल्लाह की मेहरबानी से आज बिटिया हम सबके बीच है, जब सांप ने काटा था तभी मैंने मन्नत मांग ली थी कि अगर बिटिया सही-सलामत बच गई तो हम बकरे की कुर्बानी देंगे. आप आज ही हमारे बकरे को कुर्बान कर दीजिये. इस तरह कबूतर, मुर्गे और बकरा तीनो मारे गए और चूहा अभी भी सही-सलामत था. दोस्तों, इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि जब हमारा दोस्त या पडोसी मुसीबत में हो तो हमें उसकी मदद करने की भरसक कोशिश ज़रूर करनी चाहिए. किसी समस्या को दूसरे की समस्या मान कर आँखें मूँद लेना हमें भी मुसीबत में डाल सकता है. इसलिए मुश्किल में पड़े मित्रों की मदद ज़रूर करें, ऐसा करके आप कहीं न कहीं खुद की ही मदद करेंगे
I am Anupam Bharti my nick name is Atul Kumar i have done B.Tech from GCTI kanpur. Currently working...