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मज़बूत बन

Maushami 15 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मज़बूत # मन # संघर्ष #जीवन #सुख #दुःख #अकेला #मंज़िल मोक्ष 8298 0 Hindi :: हिंदी

मज़बूत बन
मज़बूत बन ऐ मन,
मज़बूत बन।
संघर्षो का नाम है जीवन,
सीता भी भटकी थी वन वन।
पैरों में उनके छाले थे,
पैरों में बेडियां डाले थे।
सीता की अग्नि परीक्षा,
कर ना सके उनके सुखों की रक्षा।
फिर हम तो साधारण मानव हैं,
दुःख सारे सब दानव हैं।
कोई न अपना सगा यहाँ,
स्वार्थ का दूजा नाम है यह जहान।
रिश्तों के धागों में उलझे मन,
सुख की तलाश में भटके यह मन।
रिश्ते भी ज्यादा काम ना आते,
साथ छोड़ सब आगे बढ़ जाते।
मजबूर नहीं मज़बूत है मन,
आगे बढ़ बस एक है क्षण।
एक यह क्षेत्र आगे बढ़ने का,
अपने भविष्य को गढ़ने का।
मज़बूती मन की काम आएगी,
तुझे हर विपदा से बचाएगी।

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