Ajay kumar suraj 30 Mar 2023 आलेख प्यार-महोब्बत #आलेख #शायरी #गजल #प्यार-मोहब्बत #राजनीतिक #बाल-साहित्य #आखिरी-पत्र #आलेख #अजय-कुमार-सूरज #कहानियाँ #देश-प्रेम Ajay-kumar-suraj 61836 0 Hindi :: हिंदी
प्रिय जनवरी ABCD यह मेरा अंतिम पत्र है जो तुम्हारे लिए अंतिम बार लिख रहा हूँ, | तुम मुझसे दूरियाँ बनाई हो और न बात करती हो न ही इंतज़ार,क्या विवशता है मैं नही जानता| क्योकि एक लड़की का चरित्र और उसका शरीर एक श्वेत वस्त्र और स्वछ निर्मल काँच की भांति साफ और पवित्र होता है | यदि श्वेत वस्त्र पर एक बार दाग लग जाये तो उसे कितना भी धो डालो निशान पड़ ही जाता है| ठीक उसी प्रकार काँच भी होता है जब तक वह दीवार मे टंगा है लोग अपना खूबसूरत चेहरा देखते है, औरतें अपना श्रिंगार करती है|लेकिन अगर उसी आईने मे थोड़ी सी चिटकन आ जाये तो उसे कोई पसंद नही करता या तो उसमें कई चेहरे दिखाई देते है या उसे भद्दा दिखाता है,या आधे भाग को ही दिखाता है| लोगो को पूर्ण चाहिए अधूरा नही| आज भले ही बिना बताए तुम ने मुझे छोड़ दिया और दूरी बना ली |पर इस बात का विश्वाश रखना मैं तुमसे न ही मिलुंगा और न ही तुम्हारा पीछा कर तुम्हें प्रताड़ित करूंगा|क्योकि मेरे प्रेम की यही मर्यादा है| इतना ध्यान रखना मोहब्बत को पवित्र रखना ओ चाहे जिससे भी रखो,चाहे मुझमे या किसी और में |इसे खेल समझ कर मत खेलना क्योकि इसका शातिर खिलाड़ी एक दिन अपनी मर्यादा और अतित्व दोनों ही खो देता है ,और जब तक सुंदरता है तभी तक महत्व है नही तो वह बदनाम नायिका हो जाती है और वही लोग उसके नाम के आगे गंदा सा विशेषण जोड़ देते हैं,जिसके लिए वह अपना हुस्न लुटाती रही ,या ओ जिसे कुछ लोग चख न पाये | मै इसलिए नहीं कह रहा हूँ की मै तुमसे प्यार करता हूँ| इसलिए कह रहा हूँ पहले मैं किसी का भाई हूँ किसी माँ का बेटा हूँ और एक इंसान भी | अगर यही दर्द अपनों पर बीते तो कैसा लगेगा|ठीक वैसे ही तुम किसी की बहन हो,किसी की बेटी हो,और किसी के घर की इज्जत हो और यही मर्यादा खो दिया तो क्या अपनों से नज़र मिला पाओगी ? मैं अपने प्यार को बदनाम कैसे देख सकता हूँ | तुम मुझे मिलो या न मिलो पर गर कोई तुम पर आक्षेप करे तो मुझे यही लगेगा मोहब्बत भी हुई तो ऐसे शख्सियत से जो ख़ुद को भी न सम्हाल सकी भविष्य मे यह पछतावा खुद तुम्हें न हो की वासना के चलते तुमने अपना स्त्री धर्म और ईमान भी गिरवी रख दिया | यह सत्य है की हवा का झोंका जीवन मे जरूर आयेगा | वह हवा धूल के साथ साथ फूल की कलियो को भी उड़ाने की कोशिश करेगा| जब वही आवारा हवा का झोंका किसी फूल के पास से गुजरता है तो फूल अपने पराग उसके साथ उड़ने देता है,और ख़ुद फूल डाली से,डाली टहनी से,टहनी पेड़ से,पेड़ जड़ से मजबूती से पकड़े रहता है और अपने अस्तित्व को नष्ट नही होने देता| और धैर्य उसका पराग है,जब ओ किसी की नाक मे प्रवेश करता है सुगंध से उसका मन मोह लेता है| ठीक यही बात धूल पर भी गुजरती है पर धूल आवारा हवाओं के झोंके के साथ बहकर जमीन से अपने अस्तित्व को मिटा देता है|कभी किसी पानी मे गिरकर कीचड़ का रूप लेता है,तो कभी किसी कचरे मे गिरकर अपनी साख को समाप्त कर देता है| और किसी की आंखो मे गिर कर उसे भी तकलीफ देता है और खुद के कीमत और विश्वाश को घटा देता है | तुमसे यह गुजारिस है मनुष्य का सुंदर जन्म मिला है तो ऐसा चरित्र बनाना जिस पर सब को गर्व हो और स्वयं तुमको भी| बहुत से लोग यह फिजूल की बकवाश करते है,लड़के भी तो ऐसे ही होते है बदनीयत जहां सुंदर लड़की देखी नही की वहीं मनचले हो गए| वह भी तो मौज मस्ती लेते है|क्या शादी से पहले उनका किसी से संबंध न रहा होगा|जब वो करते है तो हम क्यों न करे|ए उदाहरण कुछ तुच्छ लोगो को देखकर दे दिया जाता है|या आज कल की अश्लील फिल्मों के किरदार को देखकर पर जो शत प्रतिशत सच नही है |आज भी बहुत से ऐसे लड़के भी है जिन जिन्होने किसी भी लड़की को बुरी नज़र से नही देखे,चाहे वह बेवश रही हो या स्वयं पास आई हो| क्योकि उनका स्वाभिमान और उज्व्व्ल चरित्र ही उनका सब कुछ है|ओ एक मर्यादा की सीमा भले बंधे हो पर सूरज की तेज़ किरणों मे नज़र से नज़र मिलाकर बात वही करते है| मुझे यह नही पता की तुमने मुझमे क्या देखा था,और स्वयं मेरे नजदीक आती गई,तुम्हारा मेरे पास आना दूर कर रहा था मेरे तनहाई को मेरे अन्तर्मन के खालीपन को तुम्हारा साथ भर रहा था| मेरे अंदर की सारी कुंठाए समाप्त सी हो रही थी जब भी तुम मुझसे हंस कर बात कर लेती थी|तुम्हारा मेरी ज़िंदगी मे आना एक वरदान सा हो गया था|तुम एक चिकित्सक की ही तरह थी जो मेरे अंदर फैल रही निराशा,कुंठा,हताशा को कुछ ही पलो मे दूर कर दिया|मानो रोशनी के एक उजाले ने सारा अंधकार मिटा दिया हो| तुम्हारे आने से मेरे जीवन और मेरे लक्ष्यों को और समीप से देखने की उम्मीद सी जगी थी | पर तुम्हारा अचानक छोड़ के चले जाना,मुझसे बाते न करना मुझको अंदर ही अंदर तोड़े जा रहा था|और कई दिन बाद जब तुम मिली भी तो मुझसे यूं नज़र चुराके जाना मुझे उस वक्त एकदम तोड़ सा दिया था|ज़िंदगी मे अपनी मैंने किसी भी लड़की को दिल मे स्थान न दिया था तुम समीप आती गई तुम्हें तो मन मंदिर की देवी (दुल्हन) बनाने का निर्णय ले चुका था | पर तुम्हारी चुप्पी और मुझसे दूरी यही कह रही थी तुमने मेरे साथ ऐसा मज़ाक किया है जो दुश्मन दुश्मनी मे भी नही करता |तुम्हारी मुझसे नज़र नही मिल पा रही थी उस दिन शर्म तुम्हें ही नही मुझे भी आ रही थी | प्रेम मेरा कहीं कलंकित न हो जाये|फिर भी मेरे दिल से यही दुआ तुम ने जिसे भी चाहा उसी के साथ रहो खुश रहो आबाद रहो| पर उसके भी साथ मज़ाक प्यार का न करना | नही तो एक दिन खुद मज़ाक बन जाओगी क्योकि यह खेल नही है,दिलो का बंधन है | देता हूँ मोहब्बत की आखिरी दुआयें तुम खुश रहो,भले ही मुझे बर्बाद किया है|| सूरज