संदीप कुमार सिंह 30 Aug 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 14899 0 Hindi :: हिंदी
जीवन में हर कार्य पर,करिए अवश्य तर्क। गुलशन होगा तब जहां,बनिए सबके अर्क।। बनिए सबके अर्क,राह प्रशस्त कर सबका। बने रहनुमा आप,भला करिए नित जगका।। कहते कवि संदीप,जख्म का करिए सीलन। मधुर बोल कर दान,खुशी में हो तब जीवन।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....