Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य उम्मीद 42271 0 Hindi :: हिंदी
उम्मीद के बादवां ने जिन्दा रखा है तुम्हे पास होने का जिकर किया है दिल का दर्द लहू बनके बिखरा है तुम्हारी आँखों के नशे में अपने आप को झुमते देखा है चाँद जैसी है तू तेरी आँखे चिनगारी होठ जन्मो से प्यासी चेहरा गुलाबी चाल हिरणों सी लचकती बहकती यौवन थिरकती थिरकाती मचलती मचलाती अंग-अंग तेरी नूर बरसाती है जबान हुस्न खूब इतराती है तड़पाती है और तड़पाती जालिम क्या खूब मुझ पर सितम है ढाती बदनाम हो गया मै तेरे इश्क में मै खुद को भूल बैठा तेरी प्रीत में तुम गैर हो दिल समझना नहीं