Meenakshi Tyagi 26 Aug 2023 आलेख देश-प्रेम सभी भारतीय अभिभावक 19083 1 5 Hindi :: हिंदी
प्रिय पाठकों, कल रात मैं अपने बेटे की 12वीं कक्षा की अंग्रेजी की एक पुस्तक का एक अध्याय पढ़ रही थी।अध्याय का नाम था- The Last Lesson जिसको फ्रांस के एक लेखक Alphonse Daudet ने लिखा था। इस पाठ में लेखक ने लिखा है कि एक फ्रांस के स्कूल में एक शिक्षक बहुत दुखी और परेशान है क्योंकि बर्लिन से आदेश आया था कि अब हर स्कूल में जर्मन भाषा में ही पढ़ाई होगी और अपनी मातृभाषा में नहीं अपनी मातृभाषा में आखिरी पाठ पढ़ाते हुए शिक्षक बहुत ही भावुक हो रहा था। ठीक ऐसे ही मैं भी महसूस करती हूं जब मैं इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाती हूं क्योंकि बच्चों को पहले दूसरी भाषा को पढ़ने में दिमाग खर्च करना पड़ता है और फिर इसका मतलब समझने में दिमाग लगाना होता है और इसी कशमकश में मुख्य उद्देश्य कि पाठ में क्या समझाया जा रहा है वह कहीं गुम ही हो जाता है बस पढ़ने और अर्थ निकालने में ही बच्चों का दिमाग उलझ जाता है और थोड़े दिन बाद उसका अर्थ भी बच्चे भूल जाते हैं। जैसे आज हमने बच्चों को बताया कि wonder का अर्थ आश्चर्य है तो बच्चों को कुछ देर या कुछ दिन याद रहेगा और फिर बच्चे भूल जाते हैं क्योंकि दूसरी भाषा के शब्द हमारे घर में इतने प्रयोग नहीं होते हैं तो इसलिए उन्हें दिमाग में बैठने में बहुत ही वक्त लगता है। परंतु यदि बच्चों को अपनी मातृभाषा जैसे हमारी मातृभाषा हिंदी है, का कोई भी पाठ पढ़ाया जाता है तो उसको पढ़ने के साथ ही उन्हें उसका पूरा अर्थ समझ में आ जाता है तो उनके दिमाग को सिर्फ एक बार में ही सब समझ आ जाता है और वह पाठ से संबंधित प्रश्न के उत्तर खुद ही देने लगते हैं और बहुत उत्साहित होकर उत्तर देते हैं जिससे कक्षा मे एक खुशी का वातावरण बनता है और सबसे ज्यादा खुशी उसे शिक्षक को होती है जिसने पाठ पढ़ाया उसे भी लगता है कि उसका पढ़ाया पाठ बच्चों को अच्छी तरह से समझ आ गया है। पर मुझे बहुत दुख हुआ जब यह सोचा कि अब बारहवीं में जाकर बच्चों को यह पाठ पढ़ने को मिला जब उन्होंने अपनी पूरी पढ़ाई दूसरी भाषा में की और पिछले दो सालों से उनके बारहवीं के पाठ्यक्रम में अपनी मातृभाषा की यानि हिंदी की कोई भी पुस्तक नहीं है। हमारी वर्तमान शिक्षा बच्चों के दिमाग, हमारे भारत के रीति रिवाजों पर भारी पड़ रही है। बच्चों को अपने संस्कारों को अपनाने में शर्म महसूस होती है जब बच्चों को अपनी मातृभाषा को सिखाया ही नहीं जाएगा तो उन्हें अपनी मातृभाषा से कैसे प्रेम होगा उन्हें कैसे देश प्रेम होगा? सोचिए और बताइए.... खैर मैं वर्तमान सरकार का धन्यवाद करना चाहूंगी कि उन्होंने नई शिक्षा नीति में कुछ फेरबदल करके बारहवीं तक हिंदी विषय को बनाए रखा है अब बच्चे अपनी चॉइस के अनुसार अपने विषय चुन सकते हैं। धन्यवाद।🙏