Prashant Kumar 09 Apr 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत 7973 0 Hindi :: हिंदी
आज फिर किसी से कोई बवाल कर बैठे सर ए राह मोहब्बत का सवाल कर बैठे। कांच का बदन उसका कांच की कमर उसकी और कांच की तशरीफ है सँभाल कर बैठे। वो हमारा कल भी था आज भी हमारा है हम इश्क की दुनिया खुद कँगाल कर बैठे। जाम की कमी अपने लव से पूरी कर दे अब हम से तेरे मयखाने फिर सवाल कर बैठे। हमने तो सुना था रातों मे कत्ल होगा फिर हमको दिनदहाड़े तुम क्यों हलाल कर बैठे। प्रशांत कुमार