संदीप कुमार सिंह 07 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है. जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगे. 4070 0 Hindi :: हिंदी
#विधा:_दोहा छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" जलता दीपक आस का,देगा शुभ परिणाम। तन मन चन्दन तब बने,खुशबू दे अविराम।। ऐसी खुशबू है इसे,करते सभी पसंद। ठीक बने बीमार भी,अनुभव हो मकरंद।। जिसके नव परिणाम से,आते दिव्य विचार। इच्छा सब ही पूर्ण हो,मिले नव्य अधिकार।। देख_देख दुनियाँ जले,और करे संकोच। मुकाबला करने लगे,करे खूब आलोच।। सुनते सारी बात को,बढ़े चले दृढ़ वीर। नई सफलता नित्य ही,बने भव्य जागीर।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....