संदीप कुमार सिंह 01 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5258 0 Other :: Other
कुंडलिया छंद अच्छाई की भावना, लाती सदा बहार। बनते दूजे के लिए, अनुपम दिव्य विचार।। अनुपम दिव्य विचार,ज्ञान की ज्योति जलाती। घर घर हो उजियार,दुखों की छाँव भगाती।। कहते कवि संदीप,बने रक्षा की खाई। जीवन हो उद्धार,छोड़ कभी न अच्छाई।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....