Sudha Chaudhary 25 May 2023 कविताएँ दुःखद 6028 0 Hindi :: हिंदी
मेरे अंतर का सुख मेरा दुख कैसे! जीवन के अनमोल बिंदु से, मैं विचलित कैसे! संशय और समाधान में, बिखरा जीवन पल पल, समय अगर रुक जाए तो, ना सोचूं मैं अब वह कल। वर्तमान है बैठा, साधे इतना मौन। भविष्य कल्पना से परे, विचर रहा है कौन! धुंध हुई यह व्याकुलता, निर्णय एक ना लेगा। जन्मी कलुषित पीड़ा से, संदेह नहीं मिटेगा। रचनाकार सुधा चौधरी बस्ती