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कवि सुनील नायक

कवि सुनील नायक

कवि सुनील नायक

@ --19
, Rajasthan

नाम सुनील कुमार नायक पिता लेट श्री कानाराम जी नायक माता श्री मैना देवी नायक पता गांव दियातरा जिला बीकानेर राजस्थान शिक्षा बीएसटीसी लक्ष्य कवि बनना मैं राजस्थानी और हिंदी भाषा में लगातार सिर्जन करता हूं कविताएं लिखता हूं

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My Articles

बचपन तेरी बहुत याद आती है, कागज की किश्ती पानी में तैरती, पल भर में अमीर बन जाना पलभर में गरीब, जात पांत किसने जानी सब थे मेरे करीब। बचप read more >>
खीरा केवै क म्हारो काम तो रोटी सेकणौ है, पण म्हनै फेफङा किंयू सेकणा पङै, मै सांवरै सू विणती करू क म्हारो काम तो रोटी सेकणौ है, पण म्हनै फ read more >>
भारत बसता है गांव में, अंत में रहना पड़ेगा गांव में, शुद्ध भोजन शुद्ध हवा है, ना आवश्यक हमको दवा है, घंटों बतियाते पीपल की ठंडी छांव है, read more >>
जेठ रो महिणो लागियो कृषाणा डीकरा उभा खेत सुधारै है, पसीनै सूं लथपथ होयोङा जवानी सफल बणावै है, देख तींतर भरणी बादळी ईंद्र पुकारै है , का read more >>
(1)बैरण बादळी मत बरसै,म्हारौ पिवजी बसे परदेश। पिवजी बेगा आवजो,हिवङै मे करुं कलेश।। (2)सावण सुखो जाय पियाजी,कद आओ म्हारै देस। गौरी त� read more >>
म्हारी प्यारी खेजङी, ऊनाळै सियाळै तुं रेवै हरी-भरी, काळा हिरण थारै छिंया मे कुचाळा मारै, जद ऊनाळै मे सगळा वृक्ष सूख जावै। पण तुं किंया हरी-भरी रेवै, जेठ री लू मे तुं एकली खङी मुस्करावै, जीव थारी छींया मे बैठ अर जान बचावै ऊनाळै मे पाणी घणी घणी कोसा तांई नी मिळै, पण तुं खेजङी हरी-भरी रेवै। जेठ रै तीखै तावङीयै मे जींवा रै होठां माथै, फेफ्फियाँ आ जावै पण तुं युं खङी मुस्करावै, मारवाङ रा किसान थारी साँगरी ने गणै चावै सुं खावै, थारै लूंख ने खा'र अणूता ऊँठ अरङावै। धन्य धन्य थारी छाँव खेजङी, म्हारी रुपाळी प्यारी खेजङी। मिंमझर, साँगरी और खोखा देवै, थारो हाथ कदी न खाली रेवै। चिङी कमेङी री आश्चर्य दाता है तुं, केर,बोरङी अर किकर री साथी तुं। मारवाङ री शान खेजङी, म्हारी प्यारी रुपाळी खेजङी। - कवि सुनील कुमार नायक
म्हारी प्यारी खेजङी, ऊनाळै सियाळै तुं रेवै हरी-भरी, काळा हिरण थारै छिंया मे कुचाळा मारै, जद ऊनाळै मे सगळा वृक्ष सूख जावै। पण तुं किंया read more >>
राजस्थानी कविता- खेजड़ी म्हारी प्यारी खेजङी, ऊनाळै सियाळै तुं रेवै हरी-भरी, काळा हिरण थारै छिंया मे कुचाळा मारै, जद ऊनाळै मे सगळा वृक� read more >>
कवि- सुनील कुमार नायक बाई सासरिये चाल पङी, कोयलङी बाघ नै छौङ चली, लडवण सासरियै चाल पङी, बाई सासरियै चाल पङी। बीरौसां ही रौवै , मायङ कुर� read more >>
मोबाइल तुमने कुछ अच्छा किया तो कुछ बुरा किया, मेरा वो कतपुतली वाला डांस तुमने छीन लिया, डाकिया वाला पत्र ही तुमने छीन लिया, दादी नानी क read more >>
मां तेरी याद आती है,-2 मां तू मुझे लोरी गाकर सुनाती थी, मां तु गीले पर सोती और मुझे इस सूखे पर सुलाती थी, तंग करने पर मुझे डांटती थी न मानन� read more >>
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