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Baba ji dikoli

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@ baba-ji-dikoli
, Uttar Pradesh

आजाद कवि

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My Articles

यु मत खोलो जो दिल में छुपा है उस राज को; पुरानी किताब में ही दफ़न रहने दो उस गुलाब को। में भूल चुका हूँ एक छत के नीचे बिताई उस रात को अब तुम read more >>
गम के दरिये में डूबी है दुनिया तुम ख़ुशी की एक लहर ढूढते क्यों नही। मरने की तो लाख बजह होती है तुम जीने की एक बजह ढूढो तो सही.....। ✍️@babajidikoli read more >>
वो गुरूर क्यों न करे खुद पे एक नजर देखने से जो उसे मिल गए हम। उसका मुँह फेरना लाजमी था इतनी आसानी से जो मिल गए हम । Baba ji dikoli read more >>
देखो आशाओं का यान चला। चन्द्रमा को संदेसा लिए चंद्रयान चला। भारत का पैगाम, तिरंगे का निशान लिए बैज्ञानिको का स्वाभिमान लिए। चीर कर प read more >>
ये क्या? पुराने झरोखे में आज फिर परछाई दिखाई दी लगता है उन्हें आज फिर मेरी याद आई थी। read more >>
उसकी शादी अभी नई हुई है। पर्दा करने की आदत नही हुई है। उसने देखा मुझे तो वो मुश्कुरा उठी, लगता है उनकी ये आदत अभी गई नहीं है। @babaji dikoli read more >>
उनकी बेबफाई को जो याद करता था तो शराब की तलब उठती थी। उनके सामने जाने में भी मुझे शर्म लगती थी। पर वहाँ जाना हमारी मजबूरी थी। क्योकि य read more >>
ईश्वर ने ये कैसा घटना चक्र रचा। नियति की गोद में क्या पल रहा। क्या कहॉ?.... एक कुमारी कन्या ने सुत जना समाज के भय से बो कुछ ऐसी थी अकुलाई भ read more >>
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