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Baba ji dikoli

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@ baba-ji-dikoli
, Uttar Pradesh

आजाद कवि

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My Articles

वो गुरूर क्यों न करे खुद पे एक नजर देखने से जो उसे मिल गए हम। उसका मुँह फेरना लाजमी था इतनी आसानी से जो मिल गए हम । Baba ji dikoli read more >>
देखो आशाओं का यान चला। चन्द्रमा को संदेसा लिए चंद्रयान चला। भारत का पैगाम, तिरंगे का निशान लिए बैज्ञानिको का स्वाभिमान लिए। चीर कर प read more >>
ये क्या? पुराने झरोखे में आज फिर परछाई दिखाई दी लगता है उन्हें आज फिर मेरी याद आई थी। read more >>
उसकी शादी अभी नई हुई है। पर्दा करने की आदत नही हुई है। उसने देखा मुझे तो वो मुश्कुरा उठी, लगता है उनकी ये आदत अभी गई नहीं है। @babaji dikoli read more >>
उनकी बेबफाई को जो याद करता था तो शराब की तलब उठती थी। उनके सामने जाने में भी मुझे शर्म लगती थी। पर वहाँ जाना हमारी मजबूरी थी। क्योकि य read more >>
ईश्वर ने ये कैसा घटना चक्र रचा। नियति की गोद में क्या पल रहा। क्या कहॉ?.... एक कुमारी कन्या ने सुत जना समाज के भय से बो कुछ ऐसी थी अकुलाई भ read more >>
मिट गये बो लोग जो मुहोब्बत को हीर और खुद को राँझा समझते थे। सलामत रहा हमारा बजूद क्योकि हम, खुद को आवारा समझते थे। #babajidikoli read more >>
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