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Bhagyashree Singh Dasila

Bhagyashree Singh Dasila

Bhagyashree Singh Dasila

@ bhagyashree-singh-dasila
, Madhya Pradesh

मेरा नाम भाग्यश्री है, मैं एक स्नातकोत्तर छात्रा हूं, मुझे काव्य लेखन का शौक है, काव्य न केवल व्यक्ति के विचारो की अभिव्यक्ति है, अपितु काव्य लेखन से व्यक्ति के व्यक्तित्व में विकास होता है मैं काव्य लेखन के प्रारम्भिक चरण में हूं आशा है कि मेरे द्वारा लिखी गई कविताएं आप सभी को पसंद आएंगी । धन्यवाद🙏

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है प्रकृति का रूप सुहाना, सर्वस्व सुंदर, सर्वस्व प्यारा, बहती नदियों की कल कल धारा, खिले पुष्पों का सौंदर्य निराला, निर्मल तरुवर की नि read more >>
मेरे निज चार आखर प्रेम के - मात पिता🤗 मात पिता के प्रेम की, बात पृथक ही होय, मात पिता के चरण जहां, शरण वही निज होय । ईश्वर भी निज मात पिता read more >>
दिव्य प्रकृति देख दिव्य प्रकृति आज मेरी, सभी अंतः कोप से मुक्त हुई, लिए निस्वार्थता का ध्येय परम, जन जन के लिए प्रयुक्त हुई l पर्वत, झर read more >>
जीवन चक्र जीवन के इस जलवान में, सैलाब दुखों का तो , कही सुखों का मेलाब है, कही है संघर्ष हर क्षण में, तो कही नियति में विश्राम है, धन की ल read more >>
शिव की महिमा:- बैठ समाधि भोले बाबा, नित ध्यान मग्न है रहते, निश्छल काया, मुख चकोर चंद सा, शीश चंद्र धारण है करते । भाल अंग अंग पे भस्म सज read more >>
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