Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

मेरी जन्मभूमि उत्तराखंड-पावन सरिता बहती हैं जहां

Bhagyashree Singh 29 May 2023 कविताएँ देश-प्रेम # Mera Pahad# Meri janambhoomi Uttrakhand #Dvbhoomi Uttrakhand # Kashi Sham Uttrakhand 6853 0 Hindi :: हिंदी

पावन सरिता बहती हैं जहां,
 खिलते पुष्पों की घाटी जहां,
जहां प्रेम, सौहार्द और हर्ष है,
जीवन का अर्थ उत्कर्ष है,
हरियाली से भरा जहान है जहां,
खुशहाली से भरा परिवार है जहां,
जहां घर घर बच्चा जाता है,
फुलारी का त्यौहार मनाता है,
फूलदेई क्षमादेई का गीत गाता है,
संस्कृति की शोभा बढ़ाता है,
जहां की बोली में आकर्षण है,
जहां के नृत्य में उत्कर्षण है,
नंदा देवी का है धाम जहां,
हरिद्वार प्रयाग में विश्राम जहां,
विहगो से चहकती डाल है,
जहां तालों में ताल नैनीताल है,
जहां धाम है केदारनाथ का
जहां होता है पूजन विश्वनाथ का,
सुगम स्वच्छ पवनो का आवेश जहां, 
गंगा, अलकनंदा नदियों का समावेश जहां,
जन्म भूमि मेरी अखंड है,
ये देवभूमि मेरा उत्तराखंड है।
🌺🙏🌺

                                       मेरी कलम से 🖊️
                                        भाग्यश्री सिंह

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: