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मेरे चार आखर प्रेम के- मात पिता

Bhagyashree Singh 28 May 2023 कविताएँ अन्य #parents day special# maa baap ka mol# niswarth prem 8710 0 Hindi :: हिंदी

मेरे निज चार आखर प्रेम के - मात पिता🤗

मात पिता के प्रेम की, बात पृथक ही होय,
मात पिता के चरण जहां, शरण वही निज होय ।

ईश्वर भी निज मात पिता के प्रेम पाश में खोय,
जो समझ गया निस्वार्थ प्रेम, मुक्त कलुष बंध से होय ।

मात पिता के वचनों को, जो समझेगा अपमान,
सुख से वंचित रह जायेगा, मिलेगा ना कहीं सम्मान ।

मां है प्रेम की हैं एक मूरत, तो पिता कर्तव्यो का साया है,
मां ने रिश्तों का मोल, पिता ने अनुशासन का पाठ पढ़ाया है ।

मेरे दुख और सुख के हर क्षण में, उन्होंने साथ निभाया है ,
उत्कृष्ठ गुरु बनकर निज का,  जीवन निर्वाहन सिखाया है।

जब आती घड़ी परीक्षा की, मैं शीश प्रणाम नवाती हूं,
ईश समझ उनको अपना, मैं चरण नमन कर जाती हूं ।

यदि कम में हो संतुष्ठ तो संभव ,जीवन ये कट जाएगा,
खो गया मां बाप का साथ कही, दोबारा ना मिल पाएगा 
देगा जो प्रेम मां बाप को अपने, सब कर्म शुद्ध कर जाएगा,
जो समझ गया ये अर्थ असल में वही सफल कहलाएगा  । "
   
             
            
                                              मेरी कलम से  ✍️ 
                                               भाग्यश्री सिंह

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