*"वक़्त की स्याही में लिपटी ज़िंदगी"*
किसी ने आज हंसकर पूछा, "कौन है वो.?"
हम भी मुस्कुराए, मगर जवाब यूँ दिया—
"किसी के कानों की बाली में जड़� read more >>
नील गगन के नीचे, जलधारा के बीच,
एक नाव चली, बहती रीतम - रीत।
नाव की देहरी पर बैठी कोई,
मानो स्वप्नों से आई जलपरी।
नयनों में गहराई, लहरों-� read more >>
शक्ति के प्रेम में शिव भी बदल गए थे,
वैरागी से किसी के हमसफ़र बन गए थे।
जो ध्यान में लीन, विरक्त थे सदा,
प्रेम के स्पर्श से शक्ति के हो गए read more >>
रश्मों-रिवाजों से बगावत ही सही.,
ओ नहीं मेरी पर उनसे मोहब्बत तो है.,
इश्क में हम हार भी रहे है हम जीत भी रहे है.,
ना हम दिख रहे है ना उन्हें � read more >>
प्रेम की स्वप्निल डगर पर
दो तरफ हम एक पथ पर
पुलक चलते, समानांतर
पर कभी जुड़ने की कोई आस न हो
प्रेम हो, पर मिलन की कोई प्यास न हो!
एक सखी � read more >>