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MAHESH

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@ mahesh
, Uttar Pradesh

साहित्य संगीत व कला केवल मनोरंजन का साधन मात्र नहीं है अपितु यह व्यक्तिव परिष्कार व जनजागरण की सबसे महत्वपूर्ण प्रभावी विधाएं हैं! साहित्य संगीत कला विहीन:, साक्षात् नर पशु पुच्छ विषाणहीन:! राजर्षि महाराज भर्तृहरि द्वारा रचित यह श्लोक उक्त संदर्भ में पुख्ता प्रमाण है! अस्तु मेरा भी कुछ ऐसा ही प्रयास है, उम्मीद है आप मेरी रचनाओं का आनंद लेंगे और विश्वास है कि साहित्य लाइव के मंच पर मेरी रचनाओं का यथार्थ मूल्यांकन हो सकेगा! सादर प्रणाम!🙏 ~✍️ महेश

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स्वरचित रचना---काव कही कुछ कहि न जावे! संदर्भ--- हास्य व्यंग (समसामयिक) काव कही कुछ कहि न जावै, ढ़ीठ चोर सेंध read more >>
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