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सायंकाल का प्रहर - जिसे देती विदाई कोई ; सुरबाला सी नारी - पहन के सफेद साड़ी , विदाई दे रही है - सज - धज कर ; लेता विदाई दिनकर - नींद की तैयारी read more >>
मैं प्यासा , हूँ निराशा आँसू बन के बहे गये दिल मे थे जितने आशा सूख गये दिल की ओ सागर लूट लिया मुझे प्यार की डगर नासूर बना जख्म दिल मर के read more >>
समपिर्त ए जीवन हमारा तुम्हारें चरणों मे हैं बन्दगी हमारा क्षमा करके मेरे हर भूल चरणों मे खिलने दो हमें बनके फूल आया द्वार पे read more >>
समपिर्त ए जीवन हमारा तुम्हारें चरणों मे हैं बन्दगी हमारा क्षमा करके मेरे हर भूल चरणों मे खिलने दो हमें बनके फूल आया द्वार पे read more >>
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