सच्ची है, नहीं तकिया- कलाम।
गुलामी, तुझे सलाम।
कोई धर्म का, कोई कर्म का, कोई शर्म का गुलाम है।
कोई आदत का, कोई मत का, कोई हरम का गुलाम है।
क read more >>
आपसे दूर, चाहे शरीक हूं।
मैं जैसा भी हूं, ठीक हूं।
छोटा- बड़ा, अच्छा- बुरा जैसा भी हूं।
पर मैं, मैं हूं, चाहे कैसा भी हूं।
मेरे जैसा, दूसरा read more >>