Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

Trishika Srivastava

  • Followers:
    0
  • Following:
    3
  • Total Articles:
    36
Share on:

My Articles

बता ना सके, जता ना सके हृदय की पीर मिटा ना सके भीतर-भीतर सिसक रही नयनो से नीर बहा ना सके युगों-युगों से प्रेम को तरसे प्रेम की तृषा बुझा read more >>
अपनी ही निगाहों में गुनहगार हो गई हूँ हर सजा की मैं हक़दार हो गई हूँ तमाम उम्र नहीं देखूंगी ख़ुद को आईने में ऐ ख़ुदा! मैं इतनी दागदार हो गई read more >>
नित अधरों से बंसी को चूम लिया करती हूँ मैं सबसे अधिक प्रेम इसी से किया करती हूँ - त्रिशिका श्रीवास्तव ‘धरा’ read more >>
इतनी सी गुज़ारिश है किसी बेज़ुबान को मत सताओ सुबह शाम बस इक रोटी इन लावारिस कुत्तों को खिलाओ - त्रिशिका श्रीवास्तव ‘धरा’ read more >>
पलकें झुकने का मतलब ये नहीं कि गुनाहगार हूँ मैं संस्कारों की बेड़ियों में गिरफ़्तार हूँ मैं - त्रिशिका श्रीवास्तव ‘धरा’ read more >>
क्रोध में स्वाहा हो जाता है व्यक्ति का विवेक फिर मस्तिष्क में आते हैं अपराध के काम अनेक - त्रिशिका श्रीवास्तव ‘धरा’, कानपुर read more >>
क्रोध, वासना, अहंकार की अग्नि को बुझाओ राम हो जिस के भीतर वहीँ रावन को जलाओ - त्रिशिका श्रीवास्तव 'धरा' कानपुर(उ.प्र.) read more >>
दुश्मनों का निशाना हर बार चूक जाता है 'शम्भू' ढाल बन के मेरे आगे आ जाता है - त्रिशिका श्रीवास्तव धरा read more >>
जो ख़ुदा को रखते हैं दिल के हुज़रे में वो परिंदों को क़ैद नहीं करते पिंजरे में - त्रिशिका श्रीवास्तव धरा' कानपुर (उ.प्र) read more >>
Join Us: