Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

बेरोजगार आदमी

Nitesh Kumar Vishwakarma 30 Mar 2023 कहानियाँ दुःखद 18485 0 Hindi :: हिंदी

            बेरोजगार आदमी

एक शहर में बेरोजगार नाम का व्यक्ति ,अपने परिवार के साथ रहता था. वह प्रतिदिन अपने भाई को ढूंढने के लिए दफ्तरों और बड़ी - बड़ी कंपनियों में जाता था। परंतु उसका भाई रोजगार उसे नहीं मिलता था। जब वह दिन भर ढूंढकर घर को वापिस आता था तो मां पूछती थी।
बेटा ,क्या तुझे रोजगार मिला? बेरोजगार बेटा ,मां से कहता था मां मैंने रोजगार को शहर के बड़े कंपनियों और दफ्तरों मे बहुत ढूंढा  परंतु मुझे रोजगार नहीं मिला फिर मां अपने बेरोजगार बेटे से कहती, कि बेटा यदि तेरा भाई रोजगार होता तो तुझे बेरोजगार नहीं बनने देता। वह तुझे तेरे कौशलता के अनुसार और कार्य करने की क्षमता के अनुसार रोजगार दिला देता‌।
फिर बेरोजगार  बेटा ,अपनी मां के मन में आशा की किरण जलाते हुए कहता है कि मां मुझे पूर्णता: विश्वास है कि मेरा भाई रोजगार मुझे एक- ना- एक दिन मिलेगा जरूर, क्योंकि मैं अपने भाई रोजगार को ढूंढने का कोशिश करता रहूंगा।
जब मन में हो विश्वास,
तब सब देंगे तुम्हारा साथ।
मैं बेरोजगार हूं तो क्या हुआ,
लेकिन हूं अपने माता-पिता का खास।
और मुझे पूरा है विश्वास,
 रोजगार मिलेगा यही कही आस पास।

 समय का पहिया चलता गया और धीरे-धीरे समय बीतता गया परंतु बेरोजगार  ने अपने भाई को ढूंढने के लिए प्रयत्न करता रहा। फिर एक दिन बेरोजगार को सफलता मिल ही गई क्योंकि बेरोजगार को उसका भाई रोजगार मिल ही गया। जब दोनों भाई एक दूसरे को देखे, तो उनके आंखों में से आंसू रुकने का नाम ही  नहीं ले रहे थे। दोनों ने एक दूसरे को गले लगाकर फूट-फूट कर रोए और बेरोजगार ने अपने भाई रोजगार से कहा कि भाई घर चलो मां आपका राह देख रही है। जब रोजगार अपने भाई बेरोजगार के संग  घर गया तो बेरोजगारी की बेरोजगारी समाप्त हो गई क्योंकि रोजगार अपने भाई बेरोजगार को अच्छी पद पर नियुक्त कर और उसे अच्छी वेतन दे कर, उसके बेरोजगारी को रोजगारी में परिवर्तित करके समाप्त करेगा। जब बेरोजगार को उसका भाई रोजगार मिल गया तो उसका जीवन शैली पूरी तरह से बदल गया और वहां खुशहाल जिंदगी जीने लगा । परंतु उसका भाई रोजगार मिलने के कारण, वह बहुत घमंड करने लगा और बेरोजगार अपने आगे सब को चाय कम पानी समझने लगा। वह सबसे क्रूरता से बर्ताव करने लगा। जब रोजगार ने बेरोजगार को ऐसा करते देखा, तो वह अपने भाई बेरोजगार से नाराज हो गया क्योंकि बेरोजगार को उसका भाई रोजगार मिलने से बहुत अत्यधिक घमंड हो गया था। बेरोजगार की बेरोजगारी  वापिस आ गई क्योंकि बेरोजगार का भाई रोजगार उससे नाराज हो गया था। अब क्या करे बेचारा ? अपने किए पर पछतावा करने लगा तथा अपने भाई रोजगार को मनाने के लिए प्रयत्न करने लगा. परंतु बहुत समय के बाद रोजगार माना तथा रोजगार अपने भाई बेरोजगार से एक वचन लिया कि आप कभी भी मेरे मिलने से घमंड नहीं करोगे क्योंकि घमंड 4 दिन का होता है। फिर उसके बाद टूट जाता है फिर बेरोजगार अपने भाई रोजगार को वचन दिया कि मैं कभी भी आप के मिलने से घमंड नहीं करूंगा ,फिर दोनो भाई एक साथ रहकर खुशहाल जिंदगी बिताने लगे।

धीरे - धीरे से  मेरी जिंदगी‌ मे नौकरीआयी,
मां लक्ष्मी आंगन में खुशियों के फूल लगायी।
 मैंने खुशियों के फूलों को मुरझाया,
क्योंकि मेरे ह्रदय में पूर्ण अंहकार समाया।
मेरा अंहकार ही मुझे डुबया,
 फिर प्रभु श्रीराम ने मेरे सपने में बताया,
कि रावण को अंहकार ने हीं हराया।
और मुझे मेरे संस्कार ने विजई बनाया।
तब मुझे बात समझ में आई ,
‌ मैंने वचन लेकर अपने ह्रदय में अंहकार की कर दी सफाई।

                          नितेश कुमार विश्वकर्मा






Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

लड़का: शुक्र है भगवान का इस दिन का तो मे कब से इंतजार कर रहा था। लड़की : तो अब मे जाऊ? लड़का : नही बिल्कुल नही। लड़की : क्या तुम मुझस read more >>
Join Us: