Sudha Chaudhary 16 Aug 2023 ग़ज़ल अन्य 6876 0 Hindi :: हिंदी
आज फिर याद तेरी आई है गम के बादल यहां पर लाई है। सुलगते अरमानों की दुहाई क्या दूं मेरे अन्दाज से बिखर गई है। गर्म बांहें वफ़ा की गर्मी से आज शोला जो भड़क गई है। सुबह तय था अब न सोचना उसको बंदगी में जो सहर आई है। मुझ में ताकत नहीं की पहुंचूं उस तक जमानें भर की जो रुसवाई है। सुधा चौधरी बस्ती