आकाश अगम 30 Mar 2023 ग़ज़ल दुःखद #ग़ज़ल #दर्द की गाड़ी #फ़नकार #बीज #बिस्तर #आकाश अगम #ज़िन्दगी 93512 0 Hindi :: हिंदी
दर्द की गाड़ी में ख़ुद को उम्र भर जोते रहे ज़िन्दगी भर जिसमें भर कर ज़िन्दगी ढ़ोते रहे।। उस ख़ुदा ने छीन बिस्तर को लिया कुछ सोच कर हम बड़े फ़नकार थे, हम बैठ कर सोते रहे।। कौन सींचे , कौन देखे , कौन इतना ध्यान दे बस ज़मी हमको मिली , हम बीज ही बोते रहे।। ग़ैर की बातों से होते तो समझ आता मग़र अपनी बातों से हरिक पल हम दुखी होते रहे।। कोई अपना हो न बेशक़ पर छतें अपनी मेरी रोज़ अपने आँसुओं से हम इन्हें धोते रहे।। लूट लेते हम तो महफ़िल को मग़र हम तो मियाँ कुछ की कमियों पर हँसे, फ़न देख कर रोते रहे।। शायरी पड़ कर हमारी दास्ताँ कुछ यूँ बनी पा 'अगम' को तो लिया , आकाश को खोते रहे।।