धर्मपाल सावनेर 30 Mar 2023 ग़ज़ल दुःखद दर्द भरी गज़ल# शायरी # नज़्म #धरम# सिंग#राजपूत 11487 0 Hindi :: हिंदी
रफ्ता रफ्ता वादों से मुकर रहे वो आज कल जर्रा जर्रा टूट कर बिखर रहे हम आज कल।। हुनर ये बेवफाई का अब देखने को मिल रहा किस तरह से आदते बदल रहे वो आज कल छल कपट हे आंखो में ये देख पता चल रहा दूजे के लिए कितना वो संवर रहे है आज कल हाल ए दिल बया करे करे तो फिर कहा करे किन किन हालातो से गुजर रहे हैं आज कल।। धरम सिंग राजपूत 8109708044