Prashant Kumar 11 Apr 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत 9386 0 Hindi :: हिंदी
इक दौर ऐसा आएगा कुछ ही साल भर में पत्थर मिलेंगे जालिम शीशागरों के घर में। जल्दी मिलेगी तुमको मंजिल सुनो तुम्हारी तुम मुश्किलें हो जितनी रहना मगर सफर में। हर जा कदम को अपने धरना जरा सँभलकर नश्तर मिलेंगे तुमको घुरसे हुए कमर में। इल्ज़ाम देख कैसे गैरों पे धर रहे वो खुद मुस्कुरा के छोड़ा है जिनने इस भँवर में। हम रोज तुमको इतना बेचैन देखते हैं जैसे कि बेटा मां का रहता नहीं खबर में। होती नहीं है हमसे सुन यार अब तसल्ली कर दे वयां वो जल्दी जो राज है नजर में। अब बंद कर दे जाना हम को बिना बताए आठो पहर हैं रहते हम तो तिरी फिकर में। जो बाल कर दे वांका बस में नहीं किसी के तुम जानते ही हो इतना दम कहां जिगर में। बो याद रोज हमको आईनो में करेंगे रुखसार चूमे जिनके चलते हुए डगर में। हैरान हो ना तेरा अहवाल खुल गया तो चिंता न कर तुझे अब रक्खेंगे हम नजर में।