Sudha Chaudhary 11 Aug 2023 ग़ज़ल अन्य 8607 0 Hindi :: हिंदी
जितनी रोशनी मिली उतने तुम नहीं मेरे जितनी चांदनी रही उतने तुम नहीं मेरे। साथ ग़म का रहा दूर न जाने पाए सिसकियां देखने क्यों आए नहीं मेरे। बदल गया वो जमाना जिसपे था गुमान सहर की बात न कर वो अब नहीं मेरे। गिला नहीं है कोई उन हसीन वादों का जो कभी धरती के न हुए वो तुम नहीं मेरे। चंद मुलाकात से ही टूट गए क्यों इतने जब तुम्हें चाहा तुम नहीं मेरे। सुधा चौधरी बस्ती