Sanjay Thakur 13 Jan 2024 ग़ज़ल अन्य Goggle 6567 0 Hindi :: हिंदी
ना-मुकम्मल नही होते हर एक फसाने कुछ ख्वाहिशें ही रोकती है चीज़ों को मुकम्मल होने से पहले कुछ रास्ते ले जाते है कहानियों को अजीब मोड़ पर मुसाफिर यू ही गुमराह नही होते कीमतें चुकानी मुश्किल है दिलो की इसलिए फासले मुकदर बन जाते है हाथो के मे ये तमाम लोगो को कहता फिरता हु जिस शख्स ने जी है सबके हिस्से की जिंदगी उसकी कहानियां मुकमल है संजय