धर्मपाल सावनेर 05 Apr 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत #प्रेम #के# संदर्भ#लिखी#बोहोत#रचना# 6290 0 Hindi :: हिंदी
प्यार की महक से महकती है काया पंछियों की तरह चहकती है काया ।। प्रेम की मदिरा पिलाई है तूने तभी तो इतना बहकती है काया ।। चित मन हृदय करे गुणगान तेरा तेरे ही ख्यालों में अब रहती है काया ।। तेरी याद सर्द मोसम की तरह सोचू तूझे तो लरजती है काया ।। धरम सिंग राजपूत 8109708044