आकाश अगम 30 Mar 2023 ग़ज़ल अन्य #ग़ज़ल #Ghazal #ये बातें और #ye baaten aur #हिंदी ग़ज़ल #आकाश अगम #Akash Agam 81978 0 Hindi :: हिंदी
ये बातें और रो रो कर नयन से जल बहाया है स्वयं गिर गिर के लोगों को मग़र हमने हँसाया है।। ये रस्ता जा रहा किस ओर हमने पूँछ कर देखा गए कर पार मंजिल को, उन्होंने तब बताया है।। पिता भेजें अकेले पुत्र को बाज़ार तब देखो वहाँ कितने कदम चलना हज़ारों बार गिनाया है।। यहाँ पर कौन जा कर ख़ुद बनाये मित्रता सच्ची फ़क़त आरोप देते हैं कि तुमने कम निभाया है।। यहाँ माँ बाप का आरोप बेटा पास ना बैठे उन्होंने भी पिता माँ पर समय कितना लुटाया है।। मैं चौखट , देहरी आओ तुम्हें आवाज़ देती हूँ कोई अंदर नहीं आया तुम्हें जबसे मिटाया है।। फ़क़त सूरत नहीं है मायने रखती परीक्षा में हुआ कीचड़ ही कीचड़ है कमल जबसे खिलाया है।। किसी बीमार इंसाँ को फ़क़त बीमार मत समझो बिमारी कितनी घातक है बताने हमको आया है।।