Santosh kumar koli 21 Dec 2023 कविताएँ समाजिक दीपक- जीवन 2552 0 Hindi :: हिंदी
प्रकृति प्रकृष्ट सार से, बना दीपक। स्निग्ध, बाती, जोत, रखा प्रदीपक। तेल, बाती संयोजन से, प्रज्वलित धक-धक। दीपन, मापन, रोधन, हस्त समापक। प्रकाश प्रकीर्ण, पथ झिलमिल। दीप्त सार से तमाविष्ट, जीवन गया खिल। न हसद, न हसरत, चीरता तमाच्छन्न दिल, स्निग्ध क्षरण, हरण, तिल -तिल। परहित जीवन समर्पित, स्वयं घिरा तम से। तेरा -मेरा संयत, भरा भाव सम से। स्वार्थ स्वाहा, कृतार्थ, जीवन अच्छा हमसे। जगत् रीत, तेल गया बीत, अमर सुकरम से।