Anjani pandey (sahab) 26 Apr 2023 कविताएँ अन्य यूपीएससी की तैयारी और और तेजी से वक्त बीत रहा है### 7843 0 Hindi :: हिंदी
अंधेरे में सरकारी नौकरी की चाहत वाला जितने अंधेरे थे जहेन में सब गरीबी के बने बनाए थे चाहत थी सरकारी नौकरी की सभी दिल्ली पढ़ने आए थे मैने पूछा खुद से इस अंधेरी रात में क्या इस भीड़ में मैं भी कहीं हू मुझे क्या पता था घर वाले मेरे जमीन गिरवी रख आए थे मां के आंखो में आंसू, बाप ने सपने जगाए थे बेटा गया हैं पढ़ने दिल्ली आएगा फिर लौटकर उनकी दुनिया में वापस उन्हे क्या पता बेटे ने दिल्ली में घर अपना बसाए थे बूढ़े बाप से चला नही जाता फिर भी पैसे भिजवाता है उसे आसा है मैं बनूंगा कुछ एक दिन इसलिए रोज कमाता है बस कुछ दिनों की बात है पिता जी तुम्हारे हर को पूरा करूंगा नाम तुम्हारा रोशन होगा जिस दिन बन SDM लौटाऊंगा अंजनी पांडेय (साहब