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ऐ जिन्दगी एक परीक्षा और सही-वक्त अपनी धरा में तीब्र गति से भाग रहा था

Ajay kumar suraj 29 Sep 2023 आलेख प्यार-महोब्बत #ऐ_जिन्दगी_एक_परीक्षा_और_सही #ajay_kumar_suraj #ai_jindagi_ek_pariksha_aur_sahi 14569 0 Hindi :: हिंदी

वक्त अपनी धरा में तीब्र गति से भाग रहा था , एक प्रतियोगी छात्र जिसे चिंता है अपने  भविष्य की उसे क्या त्यौहार क्या पार्टी क्या लोग किसी की फ़िक्र नहीं | फ़िक्र है तो इस बात की एक बार रोजगार मिल जाए तो अगली दीवाली और होली धूमधाम से मनाएंगे |
                                पर सरकारों की नीति परीक्षा में धांधली प्रशासन की लेटलतीफी ने पता नही कितने त्यौहार बिता दिए | कालेज से निकल कर लड़का प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों में व्यस्त दुल्हा बनने से पहले  कब  वह भसुर (जेष्ट) बन गया पता ही नही चला | दूल्हा बनने का ख़्वाब किताबो तक सिमट ही  गया | प्रेम की परिकल्पना और प्रेयसी से मिलने की आकांक्षा साहित्य के पन्नो में ही रह गई | उसके  इश्क़ की दास्ताँ नागमती वियोग वर्णन ,महाकवि विहारी के छन्दों ,पद्माकर के घनाक्षरी के बीच रह गयी |
                  सर पर उगे ये सुंदर वन से बाल कब समतल उजाड़ सा कालाहारी का मरुस्थल  हो गया पता ही नही चला | समतल सपाट सा दिखने वाला पेट कब हिमालय पर्वत सा बढने लगा कोई खबर न थी | भारतीय संविधान के अनुच्छेदों, साहित्य के छंदों, भूगोल के सदाबाहर बन से मरुस्थल ,स्थल मंडल  से वायुमंडल के साथ के चक्कर ने उसे चक्कर में डाल दिया था | बढ़ते कॉम्पटीशन के दौर में करंट अफेयर ने उसके अफेयर को टाइम ही नही दिया | कोई प्रेमिका मिली भी तो समय न देने और रोमैंटिक बात न करने की वजह से वह छोड़ कर चली भी गई |  
सारा रोमैंस तो उसे बिहारी के साहित्य में मिलता जब भी वह जिक्र करता अपने प्रेमिका से तो उसे वह आनन्द न दे पाता जो वह चाहती है | क्योकि उसे चाहिए था ओ आनंद जो कही बीच (समुद्र के तट पर) पर जाकर या पार्क में किसी झाड़ी के अंदर एक जोड़ा मजे का आनंद  लेता है | उसे चाहिए था उसका प्रेमी भी उसकी सहेली चादानियाँ और रागनिया की तरह उससे दिन भर बात करे | पर उसके पास तो इतना समय ही नही की वह अपनी किताबो की दुनिया से बाहर निकल कर कुछ वक्त उसे भी दे | उसकी आँखों की लाइब्रेरी में बैठ कर उसे गौर से पढ़े , उसके घनी जुल्फों के साए में अपनी तपन को ठंडक रखने की कोशिश करे उसके मदमस्त गुलाबी होठो को अपने होठो में रख कर उसका फ्रेंच स्टाइल में रसपान करे |
वक्त बीतता रहा परीक्षाएं होती रही  पर रिजल्ट तो आता  नहीं यह जग जाहिर था कुछ तो धांधली हुई है पर सरकार की छवि खराब न हो सरकारें अपनी गलती को मानाने को तैयार ही नही | 2019  से ही बेसिक शिक्षक भर्ती का इंतजार है छात्रों को २०२३ का समय पूर्ण बीत गया ,कोचिंग सेंटर वालो ने आशा देकर लाखों नही करोड़ो कमाए | सरकार के राजस्व में ओनलाइन फॉर्म से बढ़ोत्तरी हो गयी दूकान वाले भैया और किताब वाले भैया की विक्री बढ़ गई बाहर रहने की वजह से मकान मालिकों ने भी खूब कमाए इस इंतजार में की अब कुछ बदलेगा | उम्र बढ़ गई 30 से 32 के ऊपर होने लगे गाँव में हमसे छोटों की शादी हो गई उनके  बच्चे भी  स्कूल जाने लगे | रिश्तेदार को लगता है की किसी लडकी को देख रखा है इसलिए शादी नही कर रहा यह बात अफवाह में फ़ैल गई | अगुवा आने बंद हो गये | अब कभी किसी के माध्यम से पता भी चलता तो लडकी पहले से कही सेट है | अरे नही भाई लडके की उम्र ज्यादा हो गई है | नही भाई शादी तो करा देते अभी सफल नही है बेटी को खिलाएगा क्या ? घर वाले अलग दबाव बनाए है , कब तक होगा कुछ पता नहीं |
अब उसका भी मन बन गया था चलो एक उम्र खत्म हो गई , किसी से मोहब्बत करने की रोमैंस करने में  शाम क्या गुजारना अब रात का ठहराव जरुरी है जो नही मिला पछतावा तो है पर अब आगे देखते है |
इसी बीच मुलाक़ात होती है  एक लड़की से संध्या  (एक काल्पनिक नाम , प्रेमिका) जैसे नाम संध्या वैसे ही रूप भी था संध्या शायंकाल का समय न तो रात का पूर्ण अन्धेरा न ही दिन का पूर्ण प्रकाश वह न तो बहुत दूध सी गोरी है न ही काजल सी काली |
                                   उसकी पढाई लिखाई और शिक्षा मुझसे अधिक थी उम्र मेरे बराबर की थी, मेरी और उसकी मुलाकत सोशल साईट के जिरए हुआ था जहां शादी के लिए बायोडाटा डाला जाता था | उसने खुद के लिए शादी का डाटा डाला हुआ था | मैंने न अपनी तस्वीर भेजी न ही अन्य बात उससे कही | उसने पहले अपनी तस्वीर भेजी बोली मै काली हूँ इसलिए लोग मेरा रिश्ता नही करते, कही अच्छा घर मिलता है तो- कहीं  लड़का मना कर  देता है,  कही लड़का मिलता है तो उसके घर ही नही | उसके चहरे की शादगी पसंद आई मुझे | पर जब उसने अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताया की उसके पिता  का कारोबार ठीक ठाक है | उसका एक इंटर कॉलेज चलता है | पिता विद्यालय प्रबंध समित में प्रबंधक , भाई रक्षा मंत्रालय में , परिवार में सब एक से बढ़ कर एक, चल अचल संपत्ति करोड़ो में | अब मुझे डर लगने लगा था की ओ हैसियत औकात शिक्षा सब मामलो में हमसे कई गुना बड़ी थी और कहाँ मैं एक दिहाड़ी मजदूर और मजदूर का बेटा | हां शिक्षा मेरे पास पर्याप्त है पर न भर्ती आई ना आने के आसार लग रहे तो उम्मीद किस बात पर करें की ढिढोरा पीटे की भविष्य उज्ज्वल है |
     अब वह  मुझसे बात करने लगी थी | अपने वर्तमान और बीते हुए कल के विषय में बताने लगी थी | जीवन की तरुणाई में उसने किससे  प्रेम किया कितने दिनों तक वह सम्बन्ध में रही |उसका खुलापन ही ठीक लगा की चलो सही बता दी यह आगे हमको संशय के अंधेरो में न रखेगी | उसने बताया की कैसे उसे उसके प्रथम प्रेमी से मुलाक़ात हुई | कैसे वह  घर वालो से नजरें बचा के उससे मिलने अपने घर से अकेले निकल  गई | जिस बस में वह बैठी थी उसमें उसकी  पड़ोसन भी उसी में बैठ कर यात्रा कर रही  थी | वह मुंह को दुपट्टे से बांधकर निकल ली कोई पहचान न पाए | 
                                  ‘दर्द जो आया ,तो दिल में उसे जगह दे दी ,
                                  आके जो बैठ गया ,मुझसे हटाया न गया |’
जब  उससे मुलाक़ात उसके प्रथम प्रेमी से हुई तो उसके मन में पता नही कितने भाव उमड़ रहे थे | हां होता भी है प्रथम मिलन कितना रोमांचकारी होता है ये वही जानते है जिन्होंने पहली बार अपनी प्रेमिका से मिलकर जब आलिंगन किया होगा | प्रथम चुम्बन ने मन के भावों को उस आसमान पर पहुंचा देती है ,मानो किसी संत को उसको परब्रम्ह परमेश्वर ही मिल गया हो और वह अनंत सच्चिदानंद के आगोश में खो गया हो | मानो दिन भर का थका हारा सूरज अपने लालिमा दिखाने के रूप से दोपहर की जलन से तपा जब संध्या की आगोश में डूबता है दोनो के संगम अपने अस्तित्व को मिटाकर एक नया ही रूप धारण कर लेते है | 
                शायद इसी का नाम  मोहब्बत है ‘शेफ्ता’
                    इक आग सी है सीने में लगी हुई ||  
जब वह काशी विश्वनाथ की धरती पर मिली थी उसे लगा था  बिता लेंगे जिन्दगी पूरी हम भी माँ गौरा की तरह पेड़ की छाओं में जब भोले भंडारी ही मुझे मिल गये | दोनों को क्या दुनियादारी, क्या लोग,क्या समाज  हमको मिला महबूब तो दुनिया पर जंग की फातह हासिल की है हमने | मोहब्बत में बनारस की धरती उसे भोले बाबा जैसी मस्त मौला की फकीरी दी थी तो सिद्धार्थ से बुद्ध बनने का त्याग क्या दौलत क्या घर क्या परिवार तरुणाई की अवस्था ने तो उसके प्रेमी में उसे ऐसी नजर दे दी की जैसे कोईं नदी सागर में अपना अस्तित्व मिटाकर सागर का ही रूप ले लिया हो | मानो वह सागर हो अब नदी नहीं |
                         नेत्र न बस में हमारे ,वो किसी के हो गये |
                              रूप जब उनका निहारा तो उसी में खो गए || 
 प्रेम की दुनियां भी बड़ी अजीब होती है पास हो अच्छे सपने दिखाती है | लेकिन जब जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ता है तो सब टूट जाता है | दुनियां की रीति रही जिसको अपने से बेहतरीन मिला लोग उसी को स्वीकार करते है | अगर बेहतरीन और पुराना लेके साथ चलो भी तो प्रेम की गली इतनी सांकरी होती है की इस गली में दो का कोई स्थान नही जब तक दो अस्तित्व एक न हो  | प्रथम प्रेम जब कुछ दिन चलता है और पुराना होने लगता है तो 
                       जीवन के प्रभात में लालसा अपनी गुलाबी मादकता के साथ उदय होती है और सारे आकाश को अपने माधुर्य की सुनहरी किरणों से रंजित कर देती है | फिर मध्यान्ह का प्रखर ताप आता है ,क्षण क्षण पर बगूले उठते है | और पृथ्वी कांपने लगती है | लालसा का सुनहरा आवरण हट जाता है और वास्तविकता अपने नग्न रूप में आके खड़ी हो जाती है | उसके बाद विश्राममय संध्या आती है , शीतल और शांत,जब हम थके हुए पथिकों की भांति दिन भर की यात्रा वृतांत कहते और सुनते है  तटस्त भाव से मानो हम किसी ऊँचे शिखर पर जा बैठे हो , और नीचे जन का रव हम तक नही पहुँच पाता | 
             अब उनका प्रेम भी धोखा खाने लगा था दोनों को बेहतरीन मिलने लगा था दोनों अलग होना चाहते थे पर आंतरिक सम्बन्ध वैसा ही रखना चाहते थे जैसा पहले था | मिलना मिलाना बात करना सम्बन्ध रखना पर शादी सम्बन्ध नही | 
 अब उसे कोई और मिल गया उसी के पडोस का उसी की सहेली का  भाई साथ घूमना साथ खाना साथ सोना सब कुछ  | अब बारी थी दूसरी पारी की दूसरा प्रेम थोड़ा अनुभव लिए  देर रात बात करना रात में मिलना मिलाना यह सिलसिला लगभग 3 सालो  तक चलता रहा | अब लडके ने अपनी बिरादरी में लड़की देख ली थी क्योकि उसकी प्रेमिका तो अलग बिरादरी  की थी और उसने कहा  भी था तुमको जब शादी करना है बता देना मैं तुमको छोड़  दूंगी | मैं तुमसे प्रेम कर सकती हूँ शादी नही बस तुम धोखा न देना | लेकिन लड़का लडकी से चोरी छिपे शादी कर लेता है उसे बताता नही क्योकि उसे डर था की कहीं यह जिन्दगी में बाधा न बने |
    ‘किसी सम्बन्ध से बचने के लिए आभाव जितना बड़ा कारण होता है ,आभाव की पूर्ति उससे भी बड़ा कारण  क्योकि वह मानती थी उसके प्रेमी के चले जाने के उसके अंतर को एक रिक्तता छा लेगी | बाहर भी संभवतः बहुत सूना प्रतीत होगा फिर भी मैं अपने साथ छल नही कर रही |
उसने मुझे बताया था उसके दिए हुए कपड़े ,गिफ्ट ,सैंडिल ,अंडरगारमेंट अन्य सभी निशानिया आज भी उसके पास सुरक्षित है | उसे देख वह आज भी उसे याद करती है | अब सब  ख़त्म हो चुका था दिन बीत गये अब उसे कोई तीसरा मिला गया | उससे भी वही खुलापान नया रिश्ता शुरू तो हुआ कुछ दिन चला पर अधिक समय तक वः भी चल न सका |  
मैं शादी के लिए परेशान था घर का दबाव अलग मेरे पास न रोजगार था जो था भी उससे कमाई कम थी | पिता द्वारा की संपत्ति न विरासत में मिली जो भी था अपनी मेहनत के दम पर था | शायद इसलिए कोई अगुआ नही आते थे जो आते थे पड़ोस के लोग गलत अफवाह उड़ाकर वापस लौटा देते | रिश्तेदारो के ताने साथियों के बच्चों को देख दबाव बढ़ गया था | इसलिए सोचता था चलो कोई भी मिले शादी करनी है कर लेते है | मुझमे न तो शारीरिक कमी थी न मानसिक  कमी थी केवल अर्थ व्यस्था की तब पर भी मैं  तैयार हो गया की चलो गूंगी  ही सही शारीरिक विकलांग ही सही कर  लेता हूँ पर वह दिल से अच्छी हो | 
यह सब घटित होने के बाद अब वह मुझसे मिलती है , उससे बात-चीत के दो दिन ही बीते थे उसने अपने बारे में जो खुल के बताया मेरे सम्बन्ध इतने लोगो से थे और मैंने भूल बस नही किया मैंने सोच समझ कर यह सब किये है ,मुझे इस बात का रत्ती भर पछतावा भी नहीं  है | फिर भी मुझसे शादी करना हो तो बताना हम सोचेंगे तुमसे करे शादी करें की नही ?   मैं समझ ही नही पाया की इसका क्या उत्तर दे ? इसका उत्तर मैं भविष्य पर छोड़ता हूँ क्या निर्णय लिया जाए |
           मुफलिस हुए तो ‘कलमा’ तलक भूल जाते है |
           पूछे कोई ‘आलिफ’ तो उसे ‘बे’ बताते है 
           वो जो गरीब गुरुबा के लड़के पढ़ाते है 
           इनकी तो उम्र भर नही जाती मुफलिसी में
          यह दुख वह जाने जिस पे कि आती है मुफलिसी 
          कैसा ही आदमी हो पर इफलास (गरीबी) के तुफैल (कारण) 
          कोई गधा कहे उसे, ठहरावे कोई बैल कपड़े फटे तमाम, 
          बढ़े बाल फैल-फैल मुँह खुश्क, दाँत जर्द, 
         बदन पर जमा है मैल सब शक्ल कैदियों की बनाती है 
        मुफलिसी यह दुख वह जाने जिस पे कि आती है मुफलिसी । 

                                    Ajay Kumar  Suraj

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