Kirti singh 04 May 2024 कविताएँ समाजिक पिंजरे में बंद परिंदा भी ऊंची उड़ान नहीं उड़ सकता 16592 0 Hindi :: हिंदी
पिंजरे में बंद परिंदा भी अपनी उड़ान नहीं उड़ सकता तो बेटी फिर भी इंसान है उन्हें घर जैसे पिंजरे में बंद न रखें बल्कि सुरक्षा के साथ बाहर उड़ने की आजादी दे फिर देखे उनकी उड़ान वह आपका नाम शिखर की चोटी तक पहुंचाएंगी। kirti singh