Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य उल्झे है हम उल्झन मे 13914 0 Hindi :: हिंदी
उल्झे है हम उल्झन मे सुल्झने का युक्ति नही उल्झन भि उल्झन जैसी सुल्झने का कोई उपायेनही ये उल्झे उल्झन से कब सुल्झेगे पता नही. अपने हस्ते सपने हस्ते अडोसी और पडोसी हस्ते गाव हस्तां गली हस्ती समाज और रिबाज हस्ता हस्ता दर दिबार . इस उल्झन से कैसे सुल्झे सुल्झने का सुल्झन नही आसमान से गिरे है मत्लबीयों मे घिरे है जिस से लिया जिस को दिया जिसको दिया बो कभी ना दिया . उल्टा हम पर ताने कस्ते यैसी उल्झन ये कैसी उल्झन सुल्झने का पता नही. सुल्झे मानो तब ही सुल्झे कास सुल्झ जाते इस बार कोई तो हम को हुनर बता दो कैसे से सुल्झा जता है