Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

मन पापी माने नहीं-भागे सबसे तेज

संदीप कुमार सिंह 13 Oct 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 7522 0 Hindi :: हिंदी

#विधा:_दोहा छंद
#"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" 
मन पापी माने नहीं,भागे सबसे तेज।
हर दिन कुछ है सीखता,पढ़ता हरेक पेज।।

मन पापी माने नहीं,करे व्यर्थ की बात।
उलझा रखे फिजूल में,चिन्ता में हो रात।।

मन पापी माने नहीं,भटके यह तो खूब।
यहां वहां करता रहे,अपने में ही डूब।।

मन पापी माने नहीं,मजा करे बेरंग।
करता मंजिल  दूर तब,जैसे खाया भंग।।

मन पापी माने नहीं,समझे मत हालात।
बुरा फंसा देता यही,बनकर यह बदजात।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: