संदीप कुमार सिंह 01 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4182 0 Hindi :: हिंदी
कुंडलिया छंद होली की अति है खुशी,भागा अशुभ दुराव। उपजा मन अनुराग से,सबसे बढ़ा लगाव।। सबसे बढ़ा लगाव,भूल कर पिछली कटुता। संगी दुश्मन संग,बैठ कर करता पटुता।। सुनता हूं अब फाग,मधुर सबकी अब बोली। हुआ कांत मय गात,संग खेलें हम होली।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....