महेश्वर उनियाल उत्तराखंडी 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 80312 0 Hindi :: हिंदी
आओ पूछें सवाल’’ – सब्र की सीमायें, हो गयी पार आओ मिलकर, पूछें सवाल उत्तराखण्ड में विकास का क्यों है, इतना बुरा हाल। विकास के नाम पर कुछ नही है बढ़ा है, तो बस भ्रष्टाचार एक-एक कर पूछो सबसे कौन है, इसका जिम्मेदार। सड़क नहीं केवल गड्ढे है ठेकेदारों की कमाई के अड्ढे है, कहीं जो मोबाईल टावर खड़े है बिना बिजली के वीरान पडे़ है। अस्पताल में डॉक्टर नहीं है स्कूल में टीचर नहीं है, जो है, वो भी तमाशा देख रहे है बस अपनी-अपनी रोटी सेंक रहे है। कुकुरमुत्तों की तरह, जो नेता यहां पर छाती ताने है, खुद के घर का पता नहीं है वो लोगों का दर्द क्या जाने है। जन-मानस सब रो रहा है भविष्य अपना खो रहा है खूब भ्रष्टाचार हो रहा है प्रशासन भी सो रहा है। विधायक जी चुनाव से पहले जब वोट मांगने आये थे, ऊंची-ऊंची फेंक रहे थे खुद को विकास पुरूष बताये थे। जनता ने नहीं सोचा था, कि तुम सब वादे भूल जाओगे, एक बार तो ठगे गये हम, आगे कैसे मुंह दिखाओगे। बीज नहीं और खाद नहीं है सिंचाई को भी नहर कहां, खेतों में अब कुछ नहीं होता बस बेरोजगारी का कहर यहां। जमीन डूबो दी बांधो(डैम) में अब इन्सान कहां जायेगा, मूल-भूत सुविधांए कुछ है नहीं तो पलायन कैसे रूक पायेगा। रचनाकार- महेश्वर उनियाल उत्तराखंडी