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नारी का सम्मान जहाँ हैं- जीवन का उत्थान वहाँ हैं

Ujjwal Kumar 25 Jun 2023 कविताएँ समाजिक नारी का सम्मान जहाँ हैं, 6929 0 Hindi :: हिंदी

नारी का सम्मान जहाँ हैं, 
 जीवन का उत्थान वहाँ हैं,

अग्निपरीक्षा की प्रखर ज्वाला में,
   प्रज्ज्वलित हुई जब सीता माँ,, 

राजधर्म में बँधे राम थे,
निर्वासित हुई जब सीता माँ,,

 अपनी जिद में समाज अड़ा था,
लोक लज्जा का भय बड़ा था,,

 उनकी पवित्रता में लगे लानछन,
सतित्व भंग का ताज मढ़ा था,,

 श्रीराम खड़े थे, साथ सिया के,
अपहरित हुई जब सीता माँ,,

अश्रु राम के फूट रहे थे,
निराश्रित हुई जब सीता माँ,,

 सूर्पनखा  ने छल रचा था,
रावण समक्ष प्रस्ताव रखा था,,

 सेतु बाँधकर चल पड़े थे, 
रावण वध का खेल रचा  था,,

 राम जहाँ हैं, सिया वहाँ है,,
समस्त गुण सुखधाम वहाँ है,,,

नारी का सम्मान जहाँ हैं,
 जीवन का उत्थान वहाँ है।

नारी का सम्मान जहाँ हैं,
जीवन का उत्थान वहाँ हैं, " 

वाल्मीकि ने आश्रय दिया,
वन गई जब सीता माँ,,

लव-कुश को अमर ज्ञान दिया,
जननी हुई जब सीता माँ,, 

निर्दोष तब श्रीराम थे,
दोषी ये समाज बड़ा था,,

फिर सतित्व पर उठे प्रश्न थे, 
निष्ठुर ये समाज बड़ा था,,

अत्यंत प्रेम से भरे राम थे, 
लौटी थी जब सीता माँ,,

व्याकुल रुदित से पड़े राम थे,
भू विलीन हुई जब सीता माँ,,

 पाषाण हृदय, पाषाण पड़े थे,
अवध निवासी मौन खड़े थे,,

 द्रोही ये समाज खड़ा था,
आरोप राम पर व्यर्थ लगे थे,,

सिया राम का नाम जहाँ हैं ,
 अमर प्रेम का धाम वहाँ हैं,,

नारी का सम्मान जहाँ हैं,
 जीवन का उत्थान वहाँ हैं,

✍उज्जवल कुमार

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