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अजनबी के रूप में - मिलकर जिंदगी की पाठ पढ़ाई

Abhinav chaturvedi 07 Sep 2023 कहानियाँ समाजिक Abhinav chaturvedi 13984 0 Hindi :: हिंदी

—------- विश्वास—------

एक रात तेज बारिश होती है बिजली की तेज आवाज़ और आंधियां ऐसी मानो अपने साथ सब कुछ उड़ा कर ले जाएं। उसी रात एक सड़क पर तेज रफ्तार में कार आती रहती है मौसम खराब होने के कारण कार असंतुलित हो जाती है और दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है। सुबह होता है तो उस जगह के आसपास के लोग वहां इकट्ठे होते हैं एवं देखते हैं कि कार में कुल तीन लोग सवार रहते हैं जिसमें एक पुरुष एक महिला रहती हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी रहती हैं। वही एक छोटा बच्चा रहता है जो इतनी बड़ी दुर्घटना के बावजूद सुरक्षित रहता है। दुर्घटना स्थान ग्रामीण क्षेत्र का रहता है सभी ग्रामवासी बच्चे को सुरक्षित देखकर चौक जाते हैं और कहते हैं कि भगवान की कृपा है जो यह छोटा बच्चा अभी भी सुरक्षित है।
उन ग्राम वासियों में एक बुजुर्ग महिला रहती है जो उस बच्चे को अपनी गोद में लेती है और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहती हैं कि-" बेटा भगवान ने तुझे लंबी आयु प्रदान की है जो इस दुर्घटना में भले तेरे मां-बाप नहीं बच पाए परंतु मैं तुझे तेरे मां-बाप की कमी महसूस नही होने दूंगी और तेरा नाम अबसे आयुष्मान होगा"। यह कहते हुए ग्रामवासियों ने इंसानियत का उदाहरण पेश करते  हुए उस बच्चे के मां-पिता के मृत शरीर का अंतिम संस्कार ग्राम के निकट एक नदी के किनारे करते हैं।

समय अपनी गति से बीतता चल जाता है। वह बच्चा आयुष्मान धीरे-धीरे बड़ा होता है और उसी गांव के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के लिए जाता है। उसी गांव में उसका पूरी तरीके से मन लग गया रहता है उसके अतीत के बारे में ना कोई ग्रामवासी उससे बात करता है ना उसके मां बाप के बारे में कोई से चर्चा करता है। उसकी अम्मा जिसने उसका लालन-पालन किया वह भी अब काफी बुजुर्ग हो गई रहती हैं उसके पढ़ाई लिखाई स्वास्थ्य का ध्यान रखने के साथ ईश्वरीय भक्ति से भी लगाव रखने का सलाह देती रहती हैं और कहती हैं -" बेटा ! इस जग में जिसका कोई नहीं रहता उसका ईश्वर रहता है"। और यह सब बताते हुए आयुष्मान की अम्मा उसे भगवान की एक मूर्ति देती हैं और कहती हैं कि कोई भी परेशानी आए इनके सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करना यह सब मनोकामनाएं पूरी कर देंगे। आयुष्मान भी ठीक वैसा ही करता है प्रातः काल विद्यालय जाने से पहले उस भगवान की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करते2हुए कहता है -" हे भगवान मुझे हर समस्या से लड़ने की हिम्मत दीजिये एवं सदैव मेरे साथ रहिए जैसे मेरी अम्मा मेरे साथ रहती हैं"। इसके बाद वह भगवान को प्रणाम करके ही स्कूल जाता था। 

आयुष्मान जिस स्कूल में जाता था वहां अन्य गांव के भी बच्चे पढ़ने आते थे। एक बार उन्हीं बच्चों के बीच विवाद हो गया। हुआ कुछ यूं कि उनके अध्यापक द्वारा ईश्वर के ऊपर एक कविता को समझाया गया था। जिसकी व्याख्या करते हुए बताते हैं कि -" ईश्वर हमें दिखाई नहीं देते परंतु ईश्वर हमें हमेशा देखते रहते हैं एवं अच्छाई के मार्ग पर चलने वाले मनुष्यों का सदैव साथ देते हैं।" कक्षा में उपस्थित सभी बच्चे ध्यान से सुनते हैं एवं कक्षा खत्म होने के पश्चात कुछ बच्चे उनमें ऐसे रहते हैं जो कहते हैं ईश्वर नहीं होते हैं क्योंकि अगर कोई हमारी मदद करेगा कोई साथ देगा तो वह हमें दिखाई जरूर देगा और जो दिखाई नहीं देगा वह हमारी मदद कैसे कर पाएगा? साथ कैसे देगा? इसलिए ईश्वर नही होते हैं। वहीं दूसरी ओर कक्षा में कई बच्चे ऐसे रहते हैं जो कहते हैं कि ईश्वर होते हैं हम उन्हें पूजते हैं हमारे माता-पिता ऐसा बताए हैं। आयुष्मान भी उन बच्चों का साथ देता है और कहता है कि हां ईश्वर होते हैं इन्हीं बातों को लेकर छात्रों के बीच विवाद हो जाता है। और आयुष्मान क्रोधित हो जाता है स्कूल के अध्यापक उन्हें डांटते वे समझाते हैं एवं पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहते हैं। उस दिन की कक्षा समाप्त हो गई रहती है सभी बच्चे अपने अपने घर के लिए जाते हैं आयुष्मान भी क्रोधित होकर उस दिन स्कूल से घर की ओर जाता है। घर पहुंचता है तो देखता है कि उसके घर के पास बहुत भीड़ लगी हुई है भीड़ के बीच से आयुष्मान अंदर जाता है तो देखता है उसकी अम्मा दुनिया से जा चुकी है। वह खूब रोटा है और उसे देख गांव वाले भी कहते हैं "बिचारा आयुष्मान। एक इसकी अम्मा ही दुनिया मे सबकुछ थीं भगवान ने उन्हें भी अपने पास बुला लिया।" आयुष्मान पूरी तरह उदास हो जाता है। और उस दिन के कक्षा में हुए विवाद को सोचता है की अन्य बच्चे शायद ठीक कह रहे थे ईश्वर अगर होता तो सामने आकर साथ देता लेकिन ऐसा नहीं है। इसलिए मैं भी यह भगवान के मूर्ति की पूजा अब नहीं करूंगा और आयुष्मान उस भगवान की मूर्ति को ले जाकर गांव के बाहर एक पेड़ के नीचे रख आता है। दिन बिताते जाते हैं आयुष्मान पहले की तरह हंसमुख नहीं रहता है स्कूल जाता, स्कूल से घर आता और घर में ही अकेले रहता। शाम होती तो कुछ देर के लिए गांव में ही इधर-उधर घूम कर वापस घर को आ जाता। कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा लेकिन कुछ समय बाद आयुष्मान धीरे-धीरे हंसने खेलने लगता है। गांव वाले बच्चों के साथ मिल-जुलकर रहना, उनके साथ पढ़ने जाना सब हंसते-खेलते हुए करता। गांव के कई लोग उसे देखकर काफी खुश होते हैं लेकिन कुछ समय से गांव वाले उस पर यह ध्यान दे रहे थे कि आयुष्मान शाम को अब देर तक गांव के बाहर से घूम कर लौटता है। एक बार गांव वाले आपस में चर्चा करके यह फैसला लेते हैं कि आज यदि आयुष्मान फिर गांव के बाहर से घूम कर देर से आता है तो उससे  पूछेंगे कि वह जाता कहां है।
ठीक उसी प्रकार आयुष्मान स्कूल से घर को आता है थोड़ी देर गांव में रहता है उसके बाद फिर से गांव के बाहर चला जाता है शाम होती रहती है गांव वाले इस बार आयुष्मान का इंतजार करते रहते हैं कि वह आए और आज उससे पूछ-ताछ किया जाएगा।
आयुष्मान खुशी-खुशी गांव में आता है। उसके घर के सामने कुछ गांव वाले इकट्ठे हुए रहते हैं। उससे पूछते हैं कि आयुष्मान तुम इतनी शाम को कुछ समय से कितनी देर में देर में क्यों आते हो घूमने के लिए कहां जाते हो।
आयुष्मान उत्तर देता है कि मैं शाम को घूमने के लिए गांव के बाहर नदी के पास जाता हूं वहां एक बूढ़े काका मिलते हैं। मैं जब परेशान रहता हूँ तो वह मुझसे बिना पूछे मेरी परेशानी तुरंत बता देते हैं एवं मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। इतना सुनते ही गांव वाले आयुष्मान से आगे कोई सवाल नहीं करते हैं बोलते हैं ठीक है बेटा जाओ आराम कर लो घूम कर आए हो।

इतना कहने के बाद गांव वाले काफी परेशान हो जाते हैं क्योंकि गांव के उस किनारे नदी के पास कोई नहीं आता-जाता, वह गांव का सुनसान इलाका है। गांव वाले हाथ जोड़कर कहते हैं -"हे भगवान तेरी लीला अपरंपार है, तेरी लीला कोई नही जान सकता। इस बच्चे के मां-पिता के दुनिया से जाने के बाद अम्मा ही इसकी सहारा बनी। जब अम्मा चली गईं तो तूने इसका इतना ख्याल रखा। कि अजनबी के रूप में इससे मिलकर जिंदगी की पाठ पढ़ाई।"

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