Bholenath sharma 30 Jan 2024 कविताएँ समाजिक जहाँ स्वार्थ है जितना 7421 0 Hindi :: हिंदी
कहीं हो रहीं प्रशंसा कही हो रही निन्दा कही गा रहे गुठा कही गा रहे अवगुण जहाँ स्वार्थ है जितना गा रहे है वो उतना गुण ।
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