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पापा मेरे

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य पापा मेरे 23981 0 Hindi :: हिंदी

कुछ रंग प्यार के यैसे भी 
कुछ सुखें कुछ गीले पते सी 
अथरिले तो कुछ पथरिले 
कुछ पापा के फटकार जैसा 
कुछ नरम 
तो कुछ गर्म 
कुछ रंग प्यार के यैसे भी 

जेठ के लह लहाती धूप 
पूष के थर थराती ठंढ  
तो सावन के रीम झीम फूहार सी 
कुछ खटी कुछ मीठी तो कुछ तिखी 
हर मोड पे राह दिखाते 
पापा के डाट सी 
कुछ रंग प्यार के यैसे भी

सुखा रुखा खा कर खुद 
पाला है बादशाहों  सा 
खुद नीचे बो गीरते गये 
उठाया है मुझे अक्सर 
बो निले आशमानो सा 
कुछ रंग प्यार के यैसे भी 

मेरे पापा पापा मेरे 
जब भी संकट आता मुझ पे
आप आगे आ जाते थे  
मुझे शुलाने के लिए  
आप रात भर जागे रहते थे  
कुछ रंग प्यार के यैसे भी

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