Santosh kumar koli 07 Apr 2024 कविताएँ समाजिक बदलना तो है 874 0 Hindi :: हिंदी
विचारों को विस्तार दो, वाणी को संस्कार दो। बुद्धि को धार दो, कर्म को हुंकार दो। नौका, गहरी पैठ उतार दो, हाथों को नई पतवार दो। परवाज़ को पार दो, अरमानों को आकार दो। बुराइयों को मार दो, पाप को दुतकार दो। आलस्य को फटकार दो, मन को झंकार दो। हर प्राणी को प्यार दो, दमित को उभार दो। प्रेम को उधार दो, जीवन को सार दो