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स्त्री-स्त्री बनकर जीना आसान नहीं

कुमार किशन कीर्ति 21 May 2023 कविताएँ समाजिक स्त्री,धरती,सहनशील 6002 0 Hindi :: हिंदी

स्त्री...
यह छोटा सा शब्द है,
मगर स्त्री बनकर जीना आसान नहीं।
स्त्री तो होती हैं धरती
कैसे?
जी हाँ, स्त्री तो बिल्कुल धरती समान हैं।
स्त्री...
यह छोटा सा शब्द है,
मगर स्त्री बनकर जीना आसान नहीं।
जिस प्रकार यह धरा सहनशील
और,सबका पालन करती है।
स्त्री भी सहनशील और सबका 
पालन करती हैं।
तभी तो'माँ'की संज्ञा 
धरती और स्त्री दोनों को प्राप्त है।
अतीत और वर्तमान की
खिड़कियों से झांकने पर,
स्त्री और धरती समान हैं।
सामन!
आज भी स्त्री और धरती
मानवीय संवेदना से उपेक्षित हो रही हैं।
  :कुमार किशन कीर्ति

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