SACHIN KUMAR SONKER 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य शीर्षक (वो बीते हुवे दिन) GOOGLE 54612 1 5 Hindi :: हिंदी
शीर्षक (वो बीते हुवे दिन) मेरे अल्फ़ाज़ सचिन कुमार सोनकर वो दिन बहोत याद आते हैं। जब माँ के गोद मे बैठ के खाना खाते थे । पिता के कंधे पर स्कूल जाते थे। स्कूल से आते ही खेल मे जुट जाते थे । अँधेरा होने पर ही घर में आते थे। शाम को रोज पिता से गाली खाते थे। फिर भी आदात नहीं सुधारते थे। रोज फिर से वही दोहराते थे। गर्मी की छुट्टी मे नानी के जाते थे। खूब मज़ा उड़ाते थे नाना नानी रोज कहानी सुनाते थे। दादा दादी के लाड़ले बन जाते थे । मारने से पहले माता पिता दादा दादी से घबराते थे।
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