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पगडण्डी सी तू-नींद बेच झुकानी खरीदी ये कैसी महंगाई हैं

Rupesh Singh Lostom 02 Jul 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत पगडण्डी सी तू 4909 0 Hindi :: हिंदी

नींद बेच झुकानी खरीदी 
ये कैसी महंगाई हैं 
तुझसे इश्क़ कर रोज हैं मरते 
ऐ कैसी जिंदगानी हैं 

पगडण्डी सी तू आडी टेढ़ी 
फिर भी तू इतराती हैं 
मैं समझा तू इश्क़ मेरी 
हर बात तू समझ जाती हैं 
पर तू मोल और तोल 
समझें ने बालि एक व्यापारी हैं 

पर मैंने तुझे देखा हैं 
नजरे चुराते सरमाते 
मुझसे नैन बचाते 
बच बचा के छुप छुप के 
आखों से आँख लड़ाते

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