PANKAJ KUMAR PANDEY 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #pankajpandey#aser#love 15037 0 Hindi :: हिंदी
जलती आग के सरारे हुआ करते थे, कभी तो हम भी यूँ कुँवारे हुआ करते थे। थोड़े नमकीन और करारे हुआ करते थे, कभी तो हम भी यूँ कुँवारे हुआ करते थे। ऐसा जमाना था, मैं भी दिवाना था, हाथ में चाभी और पास में खज़ाना था, उसके टक्कर की और कोई सूरत न थी, हाले दिल भी बयाँ करने की जरूरत न थी, आँखों ही आँखों में इशारे हुआ करते थे। कभी तो हम भी यूँ कुँवारे हुआ करते थे। आती थी वो समंदर की तुफाँ बनकर, रोकता था खड़ा रस्ता शाहिल सा तनकर, भड़क उठती थी जब वो शोले तरह, बरसते थे तब हम भी ओले की तरह, इन्हीं हाथों से अँगारे छुआ करते थे। कभी तो हम भी यूँ कुँवारे हुआ करते थे।