Ranjana sharma 17 Sep 2023 कविताएँ दुःखद चाहत ना मुझे#Google# 4031 0 Hindi :: हिंदी
शोहरत की ना चाह मुझे ना चाह कोई महल की सोने चांदी का भी ना शौक मुझे ना खूब सजने संवरने की जिस चीज की चाह है मुझे उस चीज की कीमत ही नहीं पर फिर भी नहीं मिल पाई मुझे जो इस दिल में चाह है मेरी क्या मांग लिया मैंने ऐसा भी जो मुंह मोड़ के बैठा हैं मुझसे कोई ना उसे कोई पैसे से तौला जा सकता है ना उसका कोई मोल लगा सकता है ना वो बिकाऊ है ना ही उसका कोई ठहराव है जो चीज की मैंने मांग कर ली वो चीज उन सबसे परे है पर फिर भी कोई देने में इतना सोच रहा है ना चाहत मुझे पैसों की ना चाहत मुझे धन दौलत की ना चाहत मुझे खूब दिखाने की ना चाहत मुझे रानी बनने की बस एक चीज की चाहत थी जो श्री कृष्ण जी ने अपनी राधा को दिया जो रांझे ने अपनी हीर को दिया वही तो चाहा था बस क्या ज्यादा चाहत थी मेरी धन्यवाद