मोती लाल साहु 27 May 2023 कविताएँ समाजिक विजय रथ में सवार व्यक्ति के लक्षण, जब मानव दिव्य भाव प्राप्त कर लेता है- तब वह पूर्णता को अनुभव करने लगता है वह जानने योग्य हो जाता है- समस्त कर्म की पूर्ति के पांच कारण- शरीर, कर्ता, विभिन्न इंद्रियां, अनेक प्रकार की चेष्टा और परमात्मा- जो मानव- इन पांच कारणों को साथ लेकर कार्य करता है- उसके कार्य को सफल होने में संसार की कोई भी विघ्न- बाधा उत्पन्न नहीं करती- सारी माया सहयोग प्रदान करती हैं। 6288 0 Hindi :: हिंदी
संसार में समस्त- कर्म की पूर्ति के पांच कारण... जब मानव, दिव्य भाव प्राप्त कर लेता है... तब वह पूर्णता को- अनुभव करने लगता है, वह जानने योग्य हो जाता है... पांच कारण हैं:- * प्रथम- कर्म का स्थान- शरीर... * द्वितीय- कर्म करने वाला- कर्ता... * तृतीय- विभिन्न इंद्रियां:- पांच कर्म इंद्रियां- मुख,हाथ, पांव,लिंग और गुदाद्वार... पांच ज्ञानेंद्रियां- जीभ,आंख, कान, नाक और त्वचा... चार अंतःकरण इंद्रियां- मन,बुद्धि,चित्त और अहंकार... * चतुर्थ- अनेक प्रकार की चेष्टा.. * पंचम- "परमात्मा" ये पांच कारण है... जो मानव- इन पांच कारणों को साथ लेकर कार्य करता है उसके कार्य को सफल होने में... संसार की कोई भी बाधा- विघ्न उत्पन्न नहीं करते सारी, माया सहयोग प्रदान करती हैं... संसार में समस्त- कर्म की पूर्ति के पांच कारण....!!!! -मोती